उत्तर भारत में मौसम का नया मोड़: पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश
उत्तर भारत में मौसम का नया मोड़: पहाड़ों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश
Read More
गेहूं की पैदावार में 20 प्रतिशत तक होगी बढ़ोतरी: यूरिया देने का बदलें तरीका; खाद
गेहूं की पैदावार में 20 प्रतिशत तक होगी बढ़ोतरी: यूरिया देने का बदलें तरीका; खाद
Read More
खजूर की खेती: कम पानी और सूखी जमीन पर करें लाखों की कमाई, जानें उन्नत
खजूर की खेती: कम पानी और सूखी जमीन पर करें लाखों की कमाई, जानें उन्नत
Read More
ग्रीष्मकालीन तिल की खेती: कम लागत और कम समय में बम्पर मुनाफे का मौका; जानें
ग्रीष्मकालीन तिल की खेती: कम लागत और कम समय में बम्पर मुनाफे का मौका; जानें
Read More
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी पहल: ‘फ्री सिलाई मशीन योजना’ के आवेदन शुरू; घर
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बड़ी पहल: ‘फ्री सिलाई मशीन योजना’ के आवेदन शुरू; घर
Read More

खेती से खुशहाली का नया रास्ता+र्मिंग से किसान कमा रहे लाखों का मुनाफा; नौकरी छोड़ युवा भी अपना रहे यह व्यवसाय

परंपरागत खेती के साथ मुनाफे का नया मॉडल

आज के दौर में जहां किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आय के नए स्रोत खोज रहे हैं, वहीं ‘मशरूम फार्मिंग’ (Mushroom Farming) एक गेम-चेंजर साबित हो रही है। देश के विभिन्न हिस्सों, जैसे पुणे और अंबाला के किसान अब गेहूं और धान के साथ-साथ मशरूम उगाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। मशरूम की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक ‘कैश क्रॉप’ है, जिससे किसानों को मंडी में माल बेचते ही रोज नकद आय प्राप्त होती है। कई युवा अपनी अच्छी-खासी कॉर्पोरेट नौकरियां छोड़कर इस व्यवसाय में उतर रहे हैं और सालाना ७ से ८ लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं।

ADS कीमत देखें ×

कम लागत और हैंगिंग सिस्टम से शानदार पैदावार

मशरूम की खेती मुख्य रूप से दो तरीकों से की जा रही है—ओस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) और बटन मशरूम (Button Mushroom)। पुणे के संतोष बांगर जैसे प्रगतिशील किसान ‘ओस्टर मशरूम’ के लिए हैंगिंग सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं, जो कम जगह और कम निवेश में अधिक उत्पादन देता है। वहीं, अंबाला के दिलप्रीत सिंह ‘बटन मशरूम’ की खेती पराली और बांस से बनी मौसमी झोपड़ियों (Huts) में कर रहे हैं। ओस्टर मशरूम की खेती के लिए गेंहू या सोयाबीन के भूसे को जीवाणु रहित (Sterilize) कर उसमें बीज (Spawn) मिलाकर बैग तैयार किए जाते हैं, जो २५ से ३० दिनों में उत्पादन देना शुरू कर देते हैं।

Leave a Comment