परंपरागत खेती के साथ मुनाफे का नया मॉडल
आज के दौर में जहां किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ आय के नए स्रोत खोज रहे हैं, वहीं ‘मशरूम फार्मिंग’ (Mushroom Farming) एक गेम-चेंजर साबित हो रही है। देश के विभिन्न हिस्सों, जैसे पुणे और अंबाला के किसान अब गेहूं और धान के साथ-साथ मशरूम उगाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। मशरूम की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक ‘कैश क्रॉप’ है, जिससे किसानों को मंडी में माल बेचते ही रोज नकद आय प्राप्त होती है। कई युवा अपनी अच्छी-खासी कॉर्पोरेट नौकरियां छोड़कर इस व्यवसाय में उतर रहे हैं और सालाना ७ से ८ लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं।
कम लागत और हैंगिंग सिस्टम से शानदार पैदावार
मशरूम की खेती मुख्य रूप से दो तरीकों से की जा रही है—ओस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) और बटन मशरूम (Button Mushroom)। पुणे के संतोष बांगर जैसे प्रगतिशील किसान ‘ओस्टर मशरूम’ के लिए हैंगिंग सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं, जो कम जगह और कम निवेश में अधिक उत्पादन देता है। वहीं, अंबाला के दिलप्रीत सिंह ‘बटन मशरूम’ की खेती पराली और बांस से बनी मौसमी झोपड़ियों (Huts) में कर रहे हैं। ओस्टर मशरूम की खेती के लिए गेंहू या सोयाबीन के भूसे को जीवाणु रहित (Sterilize) कर उसमें बीज (Spawn) मिलाकर बैग तैयार किए जाते हैं, जो २५ से ३० दिनों में उत्पादन देना शुरू कर देते हैं।




















