मकर संक्रांति के पावन पर्व का महत्त्व – पंडित प्रदीप मिश्रा जी ; मकर संक्रांति का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह वह समय है जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण की यात्रा शुरू होती है। शास्त्रों, विशेषकर स्कंद पुराण के अनुसार, यह दिन केवल खगोलीय परिवर्तन का ही नहीं, बल्कि भगवान शिव और भगवान विष्णु (नारायण) के मिलन का भी प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन महादेव और श्री हरि एक साथ गुप्त रूप से गंगा स्नान के लिए पधारे थे।
इस तिथि की महिमा का वर्णन करते हुए बताया गया है कि जब माता लक्ष्मी ने भगवान शिव और नारायण को एक साथ स्नान करते हुए देखा, तब भगवान विष्णु ने उन्हें तिरछी दृष्टि से निहारा। शिव जी ने माता लक्ष्मी को देखकर यह वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति आज के दिन नारायण और शिव के दर्शन के साथ ‘गुप्त लक्ष्मी’ का दान करेगा, उसके घर में कभी दरिद्रता नहीं आएगी और वह परिवार बड़ी बीमारियों से सुरक्षित रहेगा।
















